
कोनेरू हम्पी ने दूसरी बार विश्व रैपिड शतरंज खिताब जीता
नई दिल्ली, 29 दिसंबर।भारत की ग्रैंडमास्टर कोनेरू हम्पी ने शतरंज की दुनिया में एक बार फिर इतिहास रच दिया है। उन्होंने रविवार को इंडोनेशिया की इरीन सुकंदर को हराकर दूसरी बार विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया। इससे पहले, हम्पी ने 2019 में जॉर्जिया में यह खिताब जीता था।
भारत की पहली महिला शतरंज खिलाड़ी बनीं
Koneru Humpy, जो भारत की नंबर एक महिला शतरंज खिलाड़ी हैं, चीन की जू वेनजुन के बाद दूसरी महिला हैं जिन्होंने यह खिताब एक से ज्यादा बार जीता है। यह उपलब्धि उन्हें भारत की पहली महिला शतरंज खिलाड़ी बनाती है जिसने यह सम्मान हासिल किया। 37 वर्षीय हम्पी ने 11 में से 8.5 अंकों के साथ टूर्नामेंट का समापन किया।
एक निर्णायक जीत की कहानी
चैंपियनशिप के फाइनल में हम्पी को केवल जीत की दरकार थी। ड्रॉ या हार का मतलब उनके खिताब की उम्मीदें टूट जाना होता। लेकिन उन्होंने पूरे आत्मविश्वास और सटीकता से मुकाबला खेला, जिससे वह विजेता बनीं।
पुरुष वर्ग में रूस के वोलोदर मुर्जिन का जलवा
पुरुष वर्ग में, रूस के 18 वर्षीय वोलोदर मुर्जिन ने यह खिताब जीता। वह नोदिरबेक अब्दुसत्तोरोव के बाद दूसरे सबसे कम उम्र के विश्व रैपिड चैंपियन बने। नोदिरबेक ने 17 साल की उम्र में यह खिताब जीता था।
कोनेरू हम्पी की यह ऐतिहासिक उपलब्धि क्यों है महत्वपूर्ण?
- कोनेरू हम्पी ने भारतीय शतरंज को वैश्विक मंच पर और भी गौरवान्वित किया है।
- उनकी जीत भारतीय महिला खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी है।
- उन्होंने शतरंज के खेल में भारत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
कोनेरू हम्पी ने भारतीय शतरंज को वैश्विक मंच पर और भी गौरवान्वित किया है।
भारतीय शतरंज को वैश्विक मंच पर नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में कोनेरू हम्पी का योगदान अतुलनीय है। आंध्र प्रदेश में जन्मी कोनेरू हम्पी ने कम उम्र से ही अपनी प्रतिभा का परिचय देते हुए शतरंज की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई।
2002 में 15 वर्ष की आयु में ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल कर उन्होंने इतिहास रच दिया। इसके बाद, उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अपने अद्वितीय खेल कौशल का प्रदर्शन किया।
2020 में, फिडे महिला रैपिड शतरंज चैंपियनशिप जीतकर उन्होंने भारतीय शतरंज को वैश्विक स्तर पर गौरवान्वित किया। उनका खेल संयम, सूझबूझ और रणनीति का प्रतीक है।
कोनेरू हम्पी ने न केवल अपनी उपलब्धियों से भारत का नाम रोशन किया है, बल्कि नई पीढ़ी के खिलाड़ियों को प्रेरणा भी दी है। उनका समर्पण और मेहनत हर खेलप्रेमी के लिए मिसाल है।
भारत को अपनी इस शतरंज महारथी पर गर्व है।
उनकी जीत भारतीय महिला खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी है।
कोनेरू हम्पी का नाम भारतीय शतरंज के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। उन्होंने अपने अद्भुत खेल कौशल और समर्पण से न केवल भारत का नाम वैश्विक स्तर पर रोशन किया है, बल्कि भारतीय महिला खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का एक सशक्त स्रोत भी बनी हैं।
हम्पी की जीत, जैसे 2020 में फिडे महिला रैपिड शतरंज चैंपियनशिप, यह दिखाती है कि भारतीय महिलाएं किसी भी क्षेत्र में सफलता के शिखर तक पहुंच सकती हैं। उनकी इस उपलब्धि ने देशभर की युवा महिला खिलाड़ियों को यह विश्वास दिलाया है कि मेहनत और लगन से हर मुश्किल लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
उनका सफर हमें सिखाता है कि चुनौतियों का सामना करते हुए निरंतर प्रयास करना ही सफलता की कुंजी है। भारतीय महिला खिलाड़ियों के लिए कोनेरू हम्पी एक प्रेरणास्त्रोत हैं, जो उन्हें अपने सपनों को सच करने का साहस देती हैं।
उन्होंने शतरंज के खेल में भारत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
कोनेरू हम्पी की यह उपलब्धि भारतीय खेलों के इतिहास में एक मील का पत्थर है। उनकी मेहनत और लगन से यह साबित होता है कि सही दिशा और आत्मविश्वास से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। भारत को गर्व है कि कोनेरू हम्पी जैसी प्रतिभा ने विश्व स्तर पर देश का नाम रोशन किया है।
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